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जीवात्मा में कर्ता का भाव उत्पन्न होना ही दुःख का कारण : विश्वआत्मानन्द पुरी

अजमेर। जीवात्मा के अन्तर्गत में कर्ता का भाव जाग्रत होना ही कर्म बनने का कारण और दुःख का कारण बनता है।उपरोक्त विचार देहली गेट के बाहर कमला बावड़ी स्थित वेदान्त सत्संग भवन में हरिद्वार कन्खल साधना सधन आश्रम के महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वआत्मानन्द पुरी महाराज ने अपने सत्संग प्रवचन के दौरान कहे महामण्डलेश्वर ने कहा कि परमात्मा किसी को दुःख नहीं पहुंचाता है, यह सब हमारे द्वारा किये हुए कर्माे के आधार पर ही उत्पन्न होते है। आश्रम के उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता रमेश लालवानी ने बताया कि माता ज्ञान ज्योति उदासीन आश्रम किशन गुरनानी मौहल्ला की सन्त साध्वी माता गीता ज्योति ने अपने सत्संग प्रवचनो में कहा कि सन्तो महात्माओ के जीवन से प्रेरणा लेकर हम सबको आवागमन से मुक्ति का मार्ग बताते है हमको चाहिये कि ऐसे महापुरूषो के जीवन काल में ही उनके बताये मार्ग पर चलना चाहिये और जीवन सफल बनाना चाहिये।। 


इस अवसर पर हरि ओम कॉलोनी विकास समिति के सचिव सागर मीणा, कन्हैयालाल गंगवानी, महेश वरलानी, रमेश लालवानी, लाजवन्ती जयसिन्धानी, अजयकुमार, मोहित लालवानी तथा अन्य ने महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वआत्मानन्दपुरी का माल्यार्पण कर शॉल पहनाकर और साहित्य भेंट कर अभिनन्दन किया। तीन दिवसीय कार्यक्रम का समापन्न 26 फरवरी बुधवार को दोपहर में गुरूग्रंथ साहिब के पाठ में भोग एवं आम भण्डारे-लंगर के साथ किया जायेगा।


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