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मातृभूमि की बलिवेदी पर शीश चढ़ाने वाले क्रांतिकारी थे शहीद हेमू कालाणी

अजमेर। मातृभूमि की बलिवेदी पर शीश चढ़ाने वाले क्रांतिकारी को याद करना सच्ची श्रृद्धांजलि है। ऐसे बलिदानी महापुरूषों के कारण आज हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं, ऐसे आर्शीवचन स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद हुये हेमू कालाणी के 77वें बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक पर सिन्धी समाज महासमिति के अध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी ने कहे।  प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने सभा की ओर से एनसीआरईटी को पत्र लिखकर मांग की गई है कि केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से पाठयक्रम में जोड़कर पढ़ाया जाये जिससे युवा पीढ़ी प्रेरणा ले सके। साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से भी मांग की गई है कि हेमू कालाणी के क्रांतिकारी जीवन पर एक वृत चित्र बनवाकर दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाये।
       
जिला मंत्री मोहन तुलस्यिाणी  ने कहा कि अमर शहीद हेमू कालाणी को मात्र 19 वर्ष की आयु में 21 जनवरी 1943 को फासी दी गई और यह पूरे देश के लिए प्रेरणा का प्रसंग है कि बाल्यकाल से ही मातृभूमि की सेवा करने का जज्बा था और देश को आजाद कराने के लिये अपनी जान भी न्यौछावर कर दी।
    
संयोजक कैलाश लखवाणी ने बताया कि कार्यक्रम के शुभारंभ में ताराचन्द राजपुरोहित व लक्षमणदास दौलताणी ने हिंगलाज माता पूजन करवाया। देशभक्ति कार्यक्रम मे के.जे.ज्ञानी, मुस्कान कोटवाणी व घनश्याम भगत ने प्रस्तुत किये । साथ ही महापुरूषों की मूर्तियों पर माल्यार्पण कर श्रृद्धासुमान अर्पित करते हुये  दीपदान किया। वैशाली सिन्धी सेवा समिति अध्यक्ष जी.डी. वृंदाणी, रमेश मेंघाणी, प्रकाश जेठरा, मुकेश आहूजा, मोहन कोटवाणी, नारायण सोनी, पुरषोतम जगवाणी, तुलसी सोनी, महेश टेकचंदाणी, नरेन्द्र बसराणी, भगवान साधवाणी, महेश मूलचंदाणी, राजेंद्र लालवानी, श्वेता शर्मा, खुशीराम ईसराणी सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे।


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