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अजमेर में बढ़ती भिखारियों की संख्या से हर कोई परेशान

सूफी संत ख्वाजा मोइनुदिन चिश्ती की नगरी अजमेर में भिखारियों की बढ़ती संख्या से हर कोई परेशान है और दुनिया के मशहूर शहर में शुमार अजमेर की एक कुरूप तस्वीर पेश करती है। दरगाह बाजार के आसपास के क्षेत्रों भिखारी जायरीनों के पीछे पड़ जाते हैं। दरगाह शरीफ में हर आने जाने वाले जायरीन को यहां के भिखारी ऎसे पकड़ लेते हैं, जैसे जायरीन ने कोई गुनाह कर दिया हो या फिर ये लोग उन जायरीनों से कोई कर्जा मांगते हो। अगर जायरीन उन्हें कुछ देने से मना करते है तो भिखारियों द्वारा उन्हें अपशब्द सुनने को मिलते हैं और बदुआएँ भी मिलती है।  इस तरह फैलती भिक्षावृत्ति अजमेर की छवि के लिहाज से उचित नहीं है। ऐतिहासिक, धार्मिक एवं पौराणिक महत्व के चलते अजमेर में विभिन्न प्रांतों के ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों की भी वर्षभर आवाजाही रहती है। परिवार के साथ शहर के धार्मिक, पर्यटन स्थलों को देखने व दर्शन करने के दौरान सर्वाधिक परेशानी इन्हें भिखारियों से हो रही है। भिक्षावृत्ति में लिप्त महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे पीछा नहीं छोड़ते। यहां तक कि है पीछा कर जायरीनों से जब तक कुछ मिल नहीं जाता। इससे जायरीन शर्मिन्दा हो जाते हैं। दरगाह इलाके में चलने वाले इस मजमे को वहां खड़ा पुलिस का जवान भी बेबस होकर देखता हुआ नजर आता है। यहां आने वाले जायरीनों-पर्यटकों से भीख मांगने वाले इन भिखारियों में अधिकतर भिखारी नशे के आदी हैं। शराब से लेकर गांजा,अफीम और स्मैक तक इनके पास आसानी से मिल जाती है और अक्सर हर समय ये लोग नशे की आगोश में डूबे हुए नजर आते हैं। कई बार नशे की लत को पूरा करने के लिए चोरियां और जेबतराशी करते हुए भी पकड़े जा चुके हैं। ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इनमे से जो लोग नशे के इस कदर आदि हो चुके हैं कि वे नशे के बिना नहीं रह सकते, ये भिखारी कभी भी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। दुविधा यह है कि इनमे से अधिकांश भिखारी ऐसे हैं, जिनकी किसी तरह की कोई पहचान नहीं होती। अगर ऐसे में इस तरह के लोगों को चंद रुपयों का लालच देकर कोई इनसे किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने में इनका इस्तेमाल करता है तो इनका पता लगाकर इनको पकड़ना टेढ़ी खीर के समान है, क्योंकि इनके पास अपनी पहचान का कोई भी प्रमाण नहीं होता, जिसकी बिनाह पर इन तक पहुंचा जा सके। भीख मांगने वाले लोगों से भिक्षावृत्ति छुड़ाने के लिए संबंधित एनजीओ एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों को काउंसलिंग के साथ कार्रवाई करनी चाहिए। संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। बहरहाल, दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले शहर अजमेर में बढ़ रही भिखारियों की तादाद कभी भी किसी वारदात की वजह बन सकती है, जिस पर समय रहते परिस्थितियों के अनुसार अंकुश नहीं लगाना और इस तरफ ध्यान नहीं देना बहुत बड़ी गलती बन सकती है।   इसलिए आवश्यक है कि समय रहते पुलिस-प्रशासन और दरगाह कमेटी के द्वारा इस ओर ध्यान दिया जाए तथा उचित कदम उठाते हुए इस दिशा में कोई कारगर उपाय किए जाए।


 


 


 


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